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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/२४३

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सोलहवां अध्याय २२५ कहते हैं। मैं चाहे लेफ्ट का हूँ, चाहे रायट का हूँ, मेरा विश्वास है कि जो जातियों में विद्वेष की भावना को जगाता है, वह दुनिया की आजादी को तरक्को नहीं देता (तालियाँ)। सांप्रदायिक कठिनाइयाँ "यह बात हरएक स्वीकार करेगा कि सांप्रदायिक कठिनाइयों ने हमारे मार्ग में बड़ी बाधा डाली है । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि इन मामलों में ब्रिटिश गवर्नमेंट की यह निश्चित नीति है कि वह आप पर ही आपके झगड़ों के निपटारे की सारी जुम्मेवारी छोड़ दे। हम हिंदुओं के पक्षपाती नहीं। हम किसी के भी पक्षपाती नहीं। हम केवल एक सम्मिलित भारत की भावना पर विचार करते हैं। आप यकीन करें कि ब्रिटिश गवर्नमेंट आपके पारस्परिक झगड़ों से अपनी कोई भी स्वार्थ-सिद्धि करने की चाह नहीं रखती, बल्कि वह इसके सर्वथा विपरीत चाहती है। हमारी यह एक उत्कट अभिलाषा है कि हम अपमें ऐसा अटूट ऐक्य देखें, जो हमें आपके लिये एक-सा मार्ग बनाने में सहायक हो। आपको आंतरिक ऐक्य की अभी बड़ी जरूरत है। "मुझे और मेरे साथियों को इस बात पर अभिमान है कि इस पारस्परिक विचार से हमारे अंदर जो खाई खुदी हुई थी, वह पहले की अपेक्षा बहुत कुछ भर गई है। (तालियां) "मैंने अपने साथियों को निश्चय दिला दिया है कि आप अपने झगड़ों का स्वयं निपटारा कर लेंगे, और मेरा अपना