चौथा अध्याय 360 टियरों का एक जत्था था, पीछे दो-दो लीडर इस क्रम से थे- पं० मोतीलाल नेहरू और मौ० अब्दुलकलाम आजाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, और मौ० मुहम्मदअली, श्रीनिवास ऐयंगर और मदनमोहन मालवीय, डॉ० अंसारी और सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और जे० एम्० सेनगुप्त । सबका स्वागत होने पर कन्याओं ने 'वंदेमातरम्" गाया। इसके बाद और कुछ गायन होने पर स्वागताध्यक्ष डॉ० किचलू का भाषण हुआ। स्वागताध्यक्ष का भाषण-आपका भाषण अंगरेजी में छपा हुआ था। आपके उसे पढ़ते ही चारो ओर से हिंदी-हिंदी की पुकार उठने लगी। आपने खेद-प्रकाश करते हुए कहा,-हिंदी में भाषण तैयार नहीं । मैं पीछे से हिंदी में सुना दूंगा । पंडाल में १८ लाउड-स्पोकर लगे थे । अतः सब लोग आसानी से भाषण सुन सके । एक घंटे में यह भाषण समाप्त हुश्रा । अँधेरा होते ही सहस्रों बिजली के रंग-बिरंगे लैंप जल उठे। आपके भाषण का सारांश यह है- "भाइयो ! मैं आपका स्वागत करता हूँ। हम लोग राष्ट्रीय युद्ध के स्वतंत्रता के युद्ध के बड़े हो महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गए हैं। इस समय हम लोगों को चाहिए कि अपनी अवस्था को अच्छी तरह समझे, और जो-जो शक्तियाँ हमारे पक्ष में और विपक्ष में हों, उन्हें परख लें । अभी विदेशी शासन जारी है, और उससे जनता इस तरह चूसी जा रही है कि राष्ट्रीय स्वाधीनता के प्रश्न की अवहेलना करना संभव ही नहीं । जो