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पृष्ठ:गोस्वामी तुलसीदास.djvu/१८८

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कुछ खटकनेवली बातें


जिस गाँव में छापा डालते हैं, वहाँ के मजदूरों को बुलाकर उनसे दो तीन घंटे राम राम रटाते हैं और जितनी मजदूरी उन्हें खेत में काम करने से मिलती, उतनी गाँववालों से वसूल करके दे देते हैं‌।

(४) दोहों में कहीं कहीं मात्राएँ कम होती हैं और सवैयों में भी कहीं कहीं वर्ण घटे-बढ़े हैं।

(५) अंगद और रावण का संवाद राजसभा के गौरव और सभ्यता के विरुद्ध है। पर इसका मतलब यह नहीं कि गोस्वामीजी राजन्य-वर्ग की शिष्टता का चित्रण नहीं कर सकते थे। राज-समाज के सभ्य भाषण का अत्यंत सुंदर नमूना उन्होंने चित्रकूट में एकत्र सभा के बीच दिखाया है। पर राक्षसों के बीच शिष्टता, सभ्यता आदि का उत्कर्ष वे दिखाना नहीं चाहते थे।


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