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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१६७

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लाड़िली––मेरी प्यारी बहिन, इस समय मेरी खुशी का अन्दाजा कोई भी नहीं कर सकता। मुझे तो इस बात का बड़ा ही रंज था कि तुमने मुझे अपने दिल से भुला दिया जिसकी आशा कदापि न थी, मगर आज शाम को तुम्हारे हाथ की लिखी हुई उस चिट्ठी ने मुझमें जान डाल दी जो तेजसिंह के हाथ मुझ तक पहुँचाई गई थी।

कमलिनी––नहीं-नहीं, अभी तक मैं तुझे उतना ही प्यार करती हूँ जितना यहाँ रहने पर करती थी परन्तु इस समय आशा कम थी कि मेरे लिखे अनुसार यहाँ आकर तू मुझसे मिलेगी, क्योंकि बड़ी बहिन मायारानी मेरी जान की ग्राहक हो रही है और तू पूरी तरह उसके कब्जे में है।

लाड़िली––प्यारी बहिन, चाहे मायारानी का दिल तुम्हारी दुश्मनी से भरा हुआ क्यों न हो मगर मेरा दिल तुम्हारी मुहब्बत से किसी तरह खाली नहीं हो सकता। तुम्हारी चिट्ठी पाते ही मैं बेचैन हो गई और हजारों आफतों की तरफ ध्यान न देकर बेखटके यहाँ चली आई। क्या अब भी तुम्हें...

कमलिनी––हाँ-हाँ मुझे विश्वास है और मैं खूब जानती हूँ कि अगर तेरे दिल में मेरी मुहब्बत न होती तो तू मेरे लिखने पर यकायक यहाँ न आती।

लाड़िली––मुझे इस बात की शिकायत करने का मौका आज मिला कि तुमने इस घर को तिलांजलि देते समय अपने इरादे से मुझे बेखबर रक्खा।

कमलिनी––तो क्या मेरा इरादा जानने पर तू मेरा साथ देती?

लाड़िली––(जोर देकर) जरूर साथ देती! हाय, यहाँ रह कर जैसी तकलीफ में दिन काट रही हूँ वह मेरा ही जी जान रहा है। ऐसे-ऐसे भयानक काम मुझसे लिए जाते हैं कि जिसे मैं मुख्तसिर में कह नहीं सकती, लाचार होकर और झख मारकर सब कुछ करना पड़ता है क्योंकि इस बात को मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि मायारानी के गुस्से में पड़ कर मैं अपनी जान भारत वर्ष के किसी घने जंगल में छिपकर भी नहीं बचा सकती।

कमलिनी––इसका सबब यही है कि तू तिलिस्मी हाल से बिल्कुल बेखबर और भोली है, बल्कि वास्तव में रामभोली है।

लाड़िली––(चौंककर) क्या तुम जानती हो कि मैं रामभोली बनने पर लाचार की गई थी?

कमलिनी––मुझे अच्छी तरह मालूम है, अभी तक नानक मेरे साथ रहकर मेरा काम कर रहा है।

लाड़िली––हाय, जब वह तुम्हारे साथ है तो जरूर एक दिन सामना होगा।

उस समय शर्म से मेरी आँखें ऊँची न होंगी, उस बेचारे के साथ मैंने बड़ी बुराई की।

कमलिनी––लेकिन मैं खूब जानती हूँ कि इसमें तेरा कोई कसूर नहीं। खैर इस बात को जाने दे, मुझे तेरी मुहब्बत यहाँ तक खींच लाई है, मैं इस समय यह पूछने आई हूँ कि अब तेरा क्या इरादा है क्योंकि इस तिलिस्म की उम्र अब तमाम हो गई और मायारानी अपने बुरे कर्मों का फल भोगा ही चाहती है।

लाड़िली––(हाथ जोड़ कर) मैं यही चाहती हूँ कि तुम मुझे अपने साथ रक्खो