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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१५८

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तारों समेत तारापति भी नौ-दो-ग्यारह होने के उद्योग में लगे हुए थे, तथा भैरोंसिंह आसमान की तरफ मुँह किये बड़ी दिलचस्पी के साथ इस शोभा को देख-देखकर सोच रहा था कि 'वाह, ईश्वर की भी क्या विचित्र गति है? करोड़ों आदमी ऐसे होंगे जो चन्द्रदेव की यह अवस्था देख सूर्यदेव ही के ऊपर इनसे वैर रखने का कलंक लगाते होंगे जिनकी बदौलत चन्द्रमा में रोशनी है और वह खूबसूरती तथा उद्दीपन का मसाला गिना जाता है।"

इस समय भैरोंसिंह को यह देखकर कि किशोरी, कामिनी और तारा ने आँखें खोल दी हैं, बड़ी खुशी हुई और उसने समझा कि अब मेरी मेहनत ठिकाने लगी। मगर अफसोस, उसे इस बात की कुछ खबर न थी कि बदकिस्मती ने अभी तक उन लोगों का पीछा नहीं छोड़ा या विधाता अभी भी उन लोगों के अनुकूल नहीं हुआ।


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भगवानी को भूतनाथ के हवाले करके जब कमलिनी चली गयी तो भूतनाथ एक पत्थर की चट्टान पर बैठकर सोचने लगा। श्यामसुन्दरसिंह किसी काम के लिए चला गया और भगवानी उसके सामने दूसरी चट्टान पर सिर कपड़े बैठी हई थी। उसके हाथपर खुले थे, मगर भूतनाथ के सामने से भाग जाने की हिम्मत उसे न थी। भूतनाथ क्या सोच रहा था या किस विचार में डूबा हुआ था, इसका पता अभी न लगता था, मगर उसके ढंग से इतना जरूर मालूम होता था कि वह किसी गम्भीर चिन्ता में डूबा हुआ है, जिसमें कुछ-कुछ लाचारी और बेबसी की झलक भी मालूम होती थी। वह घण्टों तक न जाने क्या-क्या सोचता और बहुत देर बाद लम्बी साँस लेकर धीरे से बोला, 'बेशक, वही था और अगर वही था तो उसने मुझे अपनी आँखों की ओट होने न दिया होगा.

यह बात भूतनाथ ने इस ढंग से कही मानो वह स्वयं अपने दिल को सुना रहा और आगे भी कुछ कहना चाहता है, मगर पास ही से किसी ने उसकी अधूरी बात का यह जवाब दे दिया-'हाँ, आँखों की ओट नहीं होने दिया!"

भूतनाथ चौंक पड़ा और मुड़कर पीछे की तरफ देखने लगा। उसी समय एक आदमी भूतनाथ की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दिया जो तुरन्त भूतनाथ के सामने आकर खड़ा हो गया। चन्द्रदेव जिनको उदय हुए अभी आधी घड़ी भी नहीं हुई थी, इस नये आये हुए मनुष्य की सूरत-शक्ल को अच्छी तरह नहीं तो भी बहुत-कुछ दिखा रहे थे। इसका कद नाटा, बदन गठीला और मजबूत था, रंग यद्यपि काला तो न था, मगर गोरा भी न था। चेहरा कुछ लम्बा, सिर पर बड़े-बड़े धुंघराले बाल इतने चमकदार और खूबसूरत थे कि ऐयारों को उन पर नकली या बनावटी होने का गुमान हो सकता था। चुस्त पायजामा और घुटने तक का चपकन जिसमें बहुत से जेब थे, पहने और उस पर रेशमी कमरबन्द बाँधे हुए था, केवल कमरबन्द ही नहीं, बल्कि कमरबन्द के ऊपर बेशकीमत