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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/४०

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जो हम लोगों के सुपुर्द किया गया था और जिसका होना कठिन था।

जवान-उसके साथ और कौन-कौन है?

डाकू--लाली के अतिरिक्त केवल पांच लौंडियां और थीं।

जवान–उसे तुमने किस इलाके में पाया और क्या किया, सो खुलासा कहो।

डाकू-उसने जमानिया की सरहद को छोड़ दिया और काशी रहने का विचार करके उसी तरफ का रास्ता लिया। जब काशी जी की सरहद में पहुंची, तो गंगापुर नामक एक स्थान के पास वाले जंगल में एक दिन तक उसे अटकना पड़ा क्यों कि वह लीला को हालचाल लेने और कई भेदों का पता लगाने के लिए पीछे छोड़ आई थी। हम लोगों को उसी समय अपना काम करने का मौका मिला। मैं कई आदमियों को साथ लेकर काशीराज की तहसील में जो गंगापुर में है घुस गया और कुछ असबाब चुराकर इस तरह भागा कि पहरे वालों को पता लग गया और कई सवारों ने हम लोगों का पीछा किया। आखिर हम लोग उन सवारों को धोखा देकर घुमाते हुए उसी जंगल में ले गए, जिसमें मायारानी थी। जब हम लोग मायारानी के पास पहुंचे, तो चोरी का माल उसी के पास पटक कर भाग गये और सवारों ने वहाँ पहुँच और चोरी का माल मायारानी के पास देखकर उन्हीं लोगों को चोर या चोरों का साथी समझा और उन्हें चारों तरफ से घेर लिया।

जवान-बहुत अच्छा हुआ! शाबाश, तुम लोगों ने अपना काम खूबी के साथ पूरा किया। अच्छा इसके बाद क्या हुआ?

डाकू-इसके बाद की हम लोगों को कुछ भी खबर नहीं है क्योंकि आज्ञानुसार आपके पास हाजिर होने का समय बहुत कम बच गया था इसीलिए फिर उन लोगों का पीछा न किया।

जवान-कोई हर्ज नहीं, हमें इतने ही से मतलब था। अच्छा, अब तुम जाओ, जमानिया के पास गंगा के किनारे जो झाडी है उसी में परसों रात को किसी समय हम तुम लोगों से मिलेंगे, कदाचित् कोई काम पड़े। (अपने साथी की तरफ देखकर) कहिए देवीसिंह जी, अब इन दोनों सवारों के लिए क्या आज्ञा होती है जो हम लोगों के साथ आये हैं?

देवीसिंह---अगर ये लोग जासूसी का काम अंजाम दे सकें, तो इन्हें काशी भेजना चाहिए।

जवान-ठीक है, और इसके बाद जहाँ तक जल्द हो सके, कमलिनीजी से मिलना चाहिए, ताज्जुब नहीं वे कहती हों कि भूतनाथ बड़ा ही बेफिकरा है।

पाठक तो समझ ही गये होंगे कि ये दोनों बहादुर देवीसिंह और भूतनाथ हैं। डाकुओं और दोनों सवारों को विदा करने के बाद दोनों ऐयार लौटे और तेजी के साथ जमानिया की तरफ रवाना हुए। इस जगह से जमानिया केवल चार कोस की दूरी पर था इसलिए ये दोनों ऐयार सवेरा होने के पहले ही उस टीले पर जा पहुंचे, जो दारोगा वाले बंगले के पीछे की तरफ था और जहाँ से दोनों ऐयारों और कुमारों को साथ लिए हुए कमलिनी मायारानी के तिलिस्मी बाग वाले देवमंदिर में गई थी। हम पहले लिख