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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/५४

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गोली दिखाकर) यह तिलिस्मी तमंचा और गोली निकालकर लेती आई थी। इसी के जरिए से चलाई हुई तिलिस्मी गोली ने अपना काम किया। आप तो इसका हाल जानते ही हैं।

बाबाजी-ठीक है, (राजा गोपालसिंह की तरफ देखकर) मगर मैं कैसे कहूँ कि यह वीरेन्द्रसिंह का ऐयार है! अच्छा, देखो मैं अभी इसका पता लगाये लेता हूँ।

बाबाजी ने अपने झोले में से एक शीशी निकाली, जिसमें किसी तरह का अर्क था, उस अर्क से अपनी उँगली तर करके राजा गोपालसिंह के गाल में जहाँ एक तिल का दाग था लगाया और कुछ ठहरकर कपड़े से पोंछ डाला तथा फिर गौर करने के बाद बोले

बाबाजी-नहीं-नहीं, यह वीरेन्द्रसिंह के ऐयार नहीं हैं, इन्होंने अपने चेहरे को रंगा नहीं है और न नकली तिल का दाग ही बनाया है! अगर ऐसा होता तो इस दवा के लगाने से छूट जाता। ये बेशक राजा गोपालसिंह हैं और तुमने इनके बारे में निःसंदेह हम लोगों को धोखा दिया!

मायारानी-ऐसा न समझिए, वीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग अपने चेहरे पर कच्चा रंग नहीं लगाते। अभी हाल ही में तेजसिंह ने मेरे ऐयार बिहारीसिंह को धोखा दिया, उसने उसका चेहरा एसा रंग दिया था कि हजार उद्योग करने पर भी बिहारी सिंह उसे साफ न कर सका। इसका खुलासा हाल आप सुनेंगे तो ताज्जुब करेंगे। वीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग बड़े धूर्त और चालाक हैं।

बाबाजी-मगर नहीं, मेरी दवा बेकार जाने वाली नहीं है। हाँ, एक बात हो सकती है।

मायारानी-वह क्या?

बाबाजी-शायद तुमने राजा गोपालसिंह के बारे में हम लोगों को धोखा न दिया हो और खुद ये ही हम लोगों को धोखा देकर कही चले गये हों।

मायारानी-नहीं, यह भी नहीं हो सकता।

बाबाजी–बेशक नहीं हो सकता। अच्छा, मैं इन्हें होश में लाता हूँ, जो कुछ है इनकी बातचीत से आप ही मालूम हो जायगा।

मायारानी-नहीं-नहीं, ऐसा न कीजिए, पहले इन सबों को इसी तरह बेहोश ले जाकर अपने बँगले में कैद कीजिए, फिर जो होगा, देखा जायगा।

बाबाजी-मैं यह बात नहीं मान सकता!

मायारानी-(जोर देकर) जो मैं कहती हूँ वही करना होगा!

बाबाजी-कदापि नहीं, मुझे इस विषय में बहुत-कुछ शक है और राजा साहब के साथ ही साथ मैं कमलिनी और लाड़िली को भी होश में लाऊँगा।

इसे सुनते ही मायारानी की हालत बदल गयी, क्रोध के मारे उसके होंठ कांपने लगे, उसकी आँखें लाल हो गयी और वह तिलिस्मी खंजर म्यान से निकालकर क्रोध-भरी आवाज में बाबाजी से बोली, "क्या तुम्हें किसी तरह की शेखी हो गई है? क्या तुम मेरा हुक्म काट सकते हो? क्या तुम अपने को मुझसे बढ़कर समझते हो? क्या तुम नहीं जानते कि मैं तिलिस्म की रानी हूँ, जो चाहूँ सो कर सकती हूँ और तुम मेरा कुछ भी नहीं