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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/९६

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शान्ता–-ठीक भी है, यह खयाल हो सकता था।

भूतनाथ--फिर इसी बीच में जब उसने मुझे जंगल में गाना सुना के धोखा दिया और गिरफ्तार करके अपने स्थान पर ले गई, जिसका हाल शायद तुम्हें मालूम होगा, तब मेरा रंज और भी बढ़ गया ।

शान्ता--यह हाल मुझे मालूम है मगर यह कार्रवाई उसकी न थी, बल्कि इन्द्र- देव की थी। उन्होंने ही आपके साथ यह ऐयारी की थी और उस दिन जंगल में घोड़े पर सवार जो औरत आपको मिली थी और जिसे आपने अपनी स्त्री समझा था, वह भी इन्द्रदेव का एक ऐयार ही था। यह बात मैं उन्हीं (इन्द्रदेव) की जुबानी सुन चुकी हूँ, शायद आपसे भी वे कहें। हाँ, उस दिन बँगले में जिस औरत को आपने देखा था, वह बेशक नानक की माँ थी। वह तो खुद कैदियों की तरह यहाँ रक्खी गई है, मैदान की हवा क्योंकर खा सकती है ! दोनों कुमार नहीं चाहते थे कि प्रकट होने के पहले ही कोई उन लोगों का पता लगा ले इसीलिए ये सब खेल खेले गये । (कुछ सोचकर) आखिर आपने धीरे-धीरे नानक की माँ का हाल पूछ ही लिया, मैं उसके बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहती थी, अतः अब इससे आगे और कुछ भी न कहूँगी, आप उसके बारे में मुझसे कुछ न पूछे।

भूतनाथ--नहीं-नहीं, जब इतना बता चुकी हो तो कुछ और भी बताओ क्योंकि मैं उससे मिलकर कुछ भी नहीं पूछना चाहता, बल्कि अब तो उसका मुंह देखना भी मुझे पसन्द नहीं है । अच्छा, यह तो बताओ कि वह कम्बख्त यहाँ क्यों लाई गई ?

शान्ता--लाई नहीं गई, बल्कि उसी नन्हीं के यहाँ गिरफ्तार की गई, उस समय नानक भी उसके साथ था ।

भूतनाथ--(आश्चर्य और क्रोध से) फिर भी उसी नन्हीं के यहाँ गई थी?

शान्ता--जी हाँ।

भूतनाथ--(लम्बी साँस लेकर) लोग सच कहते हैं कि ऐयाशी का नतीजा बहुत बुरा निकलता है।

शान्ता-–अतः अब उसके बारे में मुझसे कुछ न पूछिए, इन्द्रदेवजी आपको सब-

भूतनाथ-–हाँ, ठीक है, खैर, अब उसके बारे में कुछ न पूछूगा, जो कुछ पूछूगा वह तुम्हारे और हरनाम ही के बारे में होगा। अच्छा, एक बात और बताओ, आज के दरबार में मैंने हरनाम को हाथ में एक सन्दूकड़ी लिए देखा था । वह सन्दूकड़ी कंसी थी और उसमें क्या था?

शान्ता--उसमें दारोगा के हाथ की लिखी हुई बहुत-सी चिट्ठियाँ हैं जिनके देखने से आपको निश्चय हो जायगा कि आपने दलीपशाह को व्यर्थ ही अपना दुश्मन समझ लिया था। पहले जब दारोगा ने दलीपशाह को लालच दिखा कर लिखा था कि वह आपको गिरफ्तार करा दें, तब दो-चार चिट्ठियों में तो दलीपशाह ने इस नीयत से कि कुछ बता देंगे।

1. देखिए चन्द्रकान्ता सन्तति, बीसवे भाग का अन्त ।