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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१६

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चाँदी की डिबिया
[ अङ्क १
 

[ वह आईने में अपनी सूरत देखता है। अपने हाथ उठाकर और उंगलियों को फैलाकर वह उसकी तरफ़ झुकता है; तब फिर मुट्ठी बांँधकर जैक की तरफ ताकता है, मानो नींद में उसके मुसकुराते हुए चेहरे पर घूंसा मारना चाहता है। एकाएक वह बाक़ी बची हुई ह्विस्की ग्लास में उँडेलता है और पी जाता है। तब कपटमय हर्ष के साथ वह चाँदी की डिबिया और थैली उठाकर जेब में रख लेता है। ]

बचा मैं तुम्हें चरका दूंँगा। इस फेर में न रहना।

[ गुरगुराती हुई हँसी के साथ वह दरवाज़े की ओर लड़खाता हुआ जाता है। उसका कंधा स्विच से टकरा जाता है, रोशनी बुझ जाती है। किसी बन्द होते हुए दरवाज़े की आवाज़ सुनाई देती है। ]

परदा गिरता है।

परदा फिर तुरन्त उठता है।