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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१८०

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क‌ ३
 

लिवेंस

हज़ूर, मेरे कोई घर नहीं है। मेरे खाने का तो ठिकाना नहीं है। मैं बिलकुल बेकार हूं और न मेरे पास कुछ है जिससे इनका पालन कर सकूँ।

मैजिस्ट्रेट

यह कैसे?

लिवेंस

[ शर्मा कर ]

मेरी बीबी निकल गई और सारी चीज़ें गिरों रखदीं।

मैजिस्ट्रेट

लेकिन तुमने उसे ऐसा करने क्यों दिया?

लिवेंस

मैं उसे रोक नहीं सका। उधर में काम की तलाश में गया, इधर यह निकल भागी।

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