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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/५६

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क १
 

बार्थिविक

[ गंभीरता से ]

यह युवती--–महिला कहती हैं कि गई रात को---क्यों श्रीमती जी, गई रात को ही न---तुमने इनकी कोई चीज़ उठाली---

अपरिचित

[ आतुरता से ]

मेरा बटुआ ओर मेरे सब रुपए उसी लाल रेशमी थैली में थे।

जैक

बटुआ?

[ इधर उधर ताकता है कि निकल भागने का मौक़ा कहीं है ]

मैं बटुआ क्या जानूँ।

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