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पृष्ठ:छाया.djvu/१३३

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मदन-मृणालिनि
 


समुद्र-तट तक चल सकते हो ?

किशोरनाथ ने खड़े होकर कहा---अवश्य !

बस तुरन्त ही एक गाड़ी पर सवार होकर दोनों समद्र-तट की ओर चले। ज्यों ही वे पहुंचे, त्यों ही जहाज तट छोड़ चुका था। उस समय व्याकुल होकर मृणालिनी की आंखे किसी को खोज रही थीं। किन्तु अधिक खोज नहीं करनी पड़ी।

किशोर और मृणालिनी दोनों ने देखा कि गेरुए रंग का कपड़ा पहिने हुए एक व्यक्ति दोनों को हाथ जोड़े हुए जहाज पर खड़ा है, और जहाज शीता के साथ समुद्र के बीच में चला जा रहा है !

मृणालिनी ने देखा कि बीच में अगाध समुद्र है !


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