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जातिभेद का उच्छेद


व्यावसायिक सम्बन्ध और बाप-दादा से मिला हुआ धन है, वे ही इस दौड़ में चुने जायेंगे। परन्तु ऐसी अवस्थाओं में यह चुनाव योग्यों का चुनाव नहीं होगा। यह विशेष अधिकार-प्राप्त मनुष्यों का चुनाव होगा । इस लिए वह कारण, जो जोर देता है। कि तीसरी बातमें हमें लोगों के साथ एकसमान व्यवहार नहीं करना चाहिए, इस बातकी माँग करता है कि पहली दो बातों में हमें उनके सार्थ यथा-सम्भव अधिक से अधिक समता का व्यवहार करना चाहिए ।

परन्तु एक कारण है, जिस से हमारे लिए समता को स्वीकार करना आवश्यक हो जाता है। राजनीतिज्ञ का सम्बन्ध जनता की बहुसंख्या के साथ होता है। इस लिए राजनीतिज्ञ के लिए किसी मोटे और तैयार नियम के अनुसार कार्य करना आवश्यक है, और मोटा तथा तैयार नियम यह है कि सब मनुष्यों के साथ एकसा व्यवहार किया जाय, इस लिए नहीं कि वे सब एक समान हैं, वरन् इस लिए कि वर्गीकरण और श्रेणी-विभाग असम्भव है।

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अहिन्दू और जात-पाँत

जो लोग वर्ण-भेद के पक्ष में हैं और उस के मिटाने के विरोधी हैं, उन के सम्बन्ध में ऊपर बहुत कुछ लिखा जा चुका है । परन्तु उन के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो न इस के पक्ष में हैं और न इस के विरुद्ध । उन के सम्बन्ध में भी दो कारणों से थोड़ा बहुत लिखने की आवश्यकता है। इन में से एक समूह ऐसा है, जिसे हिन्दुओं के वर्ग-भेद में कोई अनोखी या घृणा-