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पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/३५

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श्रीपंचमी

परास्त हुए। पलाशी के प्रसिद्ध युद्ध में सिराजुद्दौला पर जयश्री क्यों अप्रसन्न हुई और मुष्टि मात्र सेना से लार्ड क्लाइव ने क्यों विजय पाई? क्या कभी विचार कर देखा है? देखने पर विदित होगा जो सरस्वती के कृपापात्र थे वे ही यथार्थ में बलवान सिद्ध हुए और वे ही युद्धविजयी हुए।

पाठक ! श्रीपंचमी के दिन भगवती वीणापाणि के सामने बैठकर उन महापुरुषों का एक बार ध्यान करना चाहिये जिनका पार्थिव शरीर सहस्रों वर्षों से संसार में नहीं, किंतु जिनका यशरूपी दिव्य विग्रह ज्यों का त्यों बना है और ज्ञात होता है 'आचंद्रार्कदिवाकर' बना रहेगा।

आज दिन लोगों को उन महाप्रतापी महावीर राजाधिराजों का नाम तक याद नहीं रहा, जिनके नाम बड़े बड़े ऊँचे जयस्तंभों पर लोहलेखनी से पाषाण में खोदे गए थे, वे ऊँचे ऊँचे स्तूर वा मीनार जो किसी समय साहंकार दंडायमान थे, अपने यश के साथ भूगर्भ में समा गए किंतु उन सरस्वती के पात्रों का नाम मिटानेवाला कौन है जो औरों का नाम भी अमर कर गए हैं।

वाचकवृंद ! हमारे पूर्वजों ने जिस प्रकार दशहरे का त्योहार शस्त्रपूजन के निमित्त नियत किया है, जिससे कि भारत के वीर पुरुषों के अतीत गौरव तथा युद्धलीला का स्मरण होता है उस प्रकार 'श्रीपंचमी' भी पूर्व्व गौरव का स्मारक है। भेद इतना ही है कि इस दिन के शस्त्र लेखनी और मसीपात्र हैं, तथा