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पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/६

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( २ ) आधुनिक निबंधों की शैली में शैथिल्यपूर्ण वातावरण के अतिरिक्त व्यक्तित्व की प्रधानता रहती है। यह शैथिल्य, जिसमें मात्मीयता और सुकरता की ध्वनि भरी रहती है, निबंध की कलाजन्य विशेषता है । इस शैथिल्य से तात्पर्य अपरिपुष्ट रचनाओं से नहीं है। इसकी शैली तो अत्यधिक प्रभावशालिनी होनी चाहिए। इसी के द्वारा निबंध-लेखक बौद्धिक विचारों की दुरूहता भार शुष्कता को दूर कर सकते हैं और पाठकों के हृदय को अपनी ओर आकृष्ट कर सकते हैं। उन्हें शैथिल्यपूर्ण हलका आवरण बनाना कला की दृष्टि से आवश्यक होता है। निबंधकार घटनामों और पात्रों की योजना का आकर्षण तथा भावना की तन्मयता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की प्रात्मीयता का अंशत: ही प्रयोग कर सकता है। व्यक्तित्व की प्रधानता से तात्पर्य उन विचारों से है जिनके द्वारा लेखक एक अनोखा आकर्षण उत्पन्न कर सकता और रसज्ञों पर अपना अमिट प्रभाव डाल सकता है। इन्हीं विचारों को प्रकट करने में वह अपना व्यक्तित्व भी प्रकट कर देता है। निबंध प्रायः तीन प्रकार के होते हैं-विचारात्मक, भावात्मक और वर्णनात्मक । इनको अलग अलग श्रेणियों में विभक्त करना असंभव है । निबंध चाहे विचारात्मक हों, चाहे भावात्मक या वर्णनात्मक, उनमें भावों और विचारों का ऐसा संमिश्रण हो जाता है कि वे एक दूसरे से अलग नहीं किए बा सकते । हाँ, जिसकी प्रधानता होती है उसी नाम से वे