पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१९७

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Pada 14] _ Pilgrimage १३९ ( Contd. from p. 137 ) जरा रहित देश की हवा लेकर अमृत-कुण्ड में नहाना । गेरुए वस्त्र की पताका फहराते हुए पीछे नहीं हटना | कवीर कहते हैं कि हे साधो ! सुनो, बार बार नहीं आना है । जो गुरु का पूरा चेला होगा, वही इस बात को पहिचानेगा ।