पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५३७

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vii कवीर 1 हाड़ जरें ज्यों लकड़ी I 6 2 चींटी चावल ले चली II '1 3 कबिरा तेरी झोपड़ी II 4 4 गाया है वूझा नहीं II 6 5 सहज मिलै सो दूधसम II 8 6 कबिरा खड़ा बजार में II 13 17 साधु कहावन कठिन है II 15 8 सन्त सन्त सब एक हैं III 351 9 सिंहों के लेहड़े नहीं III 2 10 चलती चक्की देख के 1II 6 i1 कबीर कूता रामका III 7 12 पीछे माँगे चाकरी III 10 13 जो चाहे आकार तू III 12 14 निराकार को आरसी III 13 15 क्षीररूप सतनाम है IV 1 16 गुरु तो वही सराहिए IV 2 17 गुरू कुम्हार सिख कुम्भ है IV 3 18 कनफूंका गुरु हद्द का IV 4 19 गुरु गोविन्द दोऊ खड़े IV 5 20 एक लख चन्दा आन धरि IV 6 21 शुन्य मरं अजपा मर IV 13 22 काँकर पाथर जोडकर IV 16 23 जिन खोजा तिन पाइया IV 20 24 सर्गुणकी सेवा करो IV 25 25 कबिरा धारा अगमकीं IV 26 26 लाख कोस जो गुरु बर्स IV 27 27 जो देखे सो कह नहीं V 4 28 जो गूंगे के सैन को V 5 29 हीरा तहाँ न खोलिये V 6