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पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१२२

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वर्ग-भेदों के पैदा होने से पहले ऐसी थी मानवजाति और मानव समाज । और यदि हम उनकी हालत की आज के अधिकतर सभ्य लोगो की हालत से तुलना करें, तो हम पायेंगे कि वर्तमान सर्वहारा तथा छोटे किसान और प्राचीन काल के किसी गोत्र के स्वतंत्र सदस्य के बीच एक बहुत चौडी और गहरी खाई है। यह तसवीर का एक पहलू है। परन्तु इसको देखने के साथ-साथ हमें यह न भूलना चाहिये कि इस संगठन का मिट जाना अवश्यम्भावी था। उसने कभी कबीले से आगे विकास नही किया। कबीलों का महासंघ बनने का मतलब , जैसा हम आगे चलकर देखेंगे और जैसा दूसरों को जीतने और अपने अधीन बनाने के इरोक्वा लोगों के प्रयलों से भी प्रकट होता है, यह था कि इस संगठन का पतन प्रारम्भ हो गया। कबीले के बाहर जो कुछ था, वह कानून के बाहर था। जहा बाकायदा शान्ति-सधि नहीं हो गयी थी, वहां कवीलो के बीच जंग चलती रहती थी। और यह जग उस बेरहमी के साथ चलायी जाती थी जो मनुष्य को दूसरे सब पशुनो से अलग करती है, और जो बाद में केवल स्वार्थवश कुछ कम की गयी। गोत्र-संगठन जब खू व पनप और फूल-फल रहा था, जैसा कि हमने उसे अमरीका में पनपते देखा है, तब उसका लाजिमी तौर पर यह मतलब होता था कि उत्पादन-प्रणाली बहुत ही पिछड़ी हुई है, बहुत थोड़ी आबादी एक लम्बे-चौड़े इलाके मे फैली हुई है, और इसलिये मनुष्य पर बाह्य प्रकृति का लगभग पूर्ण आधिपत्य है; प्रकृति उसे परायी, विरोधी और अज्ञेय प्रतीत होती है। प्रकृति का यह आधिपत्य उसके बचकाने धार्मिक विचारो में प्रतिविम्बित होता है। अपने से और बाहरी लोगो से मनुष्य के सम्बन्ध पूरी तरह कवीले तक ही सीमित थे। कबीला, गोत्र और उनकी प्रथाएं पवित्र और अनुल्लंघनीय यों; वे सर्वोच्च शक्ति थी जिन्हें स्वयं प्रकृति ने प्रतिष्ठित किया था। व्यक्ति की भावनाएं, विचार और कर्म- सब पूरी तरह इस शक्ति के अधीन थे। इस युग के लोग हमे भले ही बड़े जोरदार और प्रभावशाली लगते हों, पर वे सारे एक जैसे थे। माक्र्स के शब्दों में वे अभी आदिम समुदाय की नाभिरज्जु से बंधे हुए थे। इन आदिम समुदायो की शक्ति का तोड़ना आवश्यक था, और वह टूटी। परन्तु वह ऐसे कारणों से टूटी जो हमें शुरू से ही पतन के चिह्न प्रतीत होते है, और प्राचीन गोन-ममाज को सरल नैतिक महानता के नष्ट होने की सूचना १२४