पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/३१०

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परीक्षागुरू.
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लोग पुरुष होकर भी अपने मनकी छोटी, छोटी, कामनाओं के प्रबल होनें पर उन्हैं नहीं रोक सकते?

"यूनानके प्रसिद्ध बक्ता डिमास्टिनीस को पहलै पूरासा बोलना नहीं आता था उसकी जबान तोतली थी और ज़रासी बात कहनेंमैं उस्का दम भर जाता था परंतु वह बड़े, बड़े उस्तादों की वक्तृता का ढंग देखकर उन्की नक़ल करनें लगा और दरियाके किनारे या ऊंंची टेकड़ियों पर मुंह मैं कंकर भरकर बड़ी देर, देर तक लगातार छन्द बोलनें लगा जिस्सै उस्का तुतलाना और दम भरनाही नहीं बन्ध हुआ बल्कि लोगों के हल्ले को दबा कर आवाज़ देनेंका अभ्यास हो गया. वह वक्तृता करने सैं पहलै अपनें चहरे का बनाव देखनें के लिये काचके सामनें खड़े होकर अभ्यास करता था और उस्को वक्तृता करती बार कंधे उचकानें की आदत पड़ गई थी इस्सै वह अभ्यास के समय दो नोकदार हथियार अपनें कन्धों सै ज़रा ऊंंचे लटकाए रख़ता था कि उन्के डरसै कन्धे न उचकनें पायँ उस्नें अपनी भाषा मैं प्रसिद्ध इतिहासकर्ता ठयु सीडाइगसकासा रस लानें के लिये उस्के लेख की आठ नकल अपनें हाथ सै की थी.

"इंग्लेडका बादशाह पांचवां हेनरी जब प्रेन्स आफ वेल्स ( युवराज ) था तब इतनी बदचलनी मैं फस गया था और उस्की संगति के सब आदमी ऐसे नालायक थे कि उस्के बादशाह होनें पर बड़े जुल्म होंने' का भय सब लोगों के चित्त मैं समा रहा था. जिस्समय इंग्लेन्ड के चीफ जस्टिस गासकोइननें उस्के अपराध पर उसै कैद किया तो खास उस्के पिता नें इस बात सै अपनी प्रसन्नता प्रकट की थी कि शायद इस रीति सै वह कुछ