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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/१३९

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विस्यूवियस के विषम स्फोट

कभी वहाँ पानी का प्रवाह पहुँचता है, तब फिर वहाँ की आग कुपित हो उठती है और उत्पन्न हुई भाफ पहले मार्ग से ऊपर निकलने लगती है। इस निकलने में पृथ्वी के उदर के पदार्थ वह ऊपर फेंकती है।

पानी पहुँचने से पृथ्वी के पेट की ज्वाला कहीं कहीं अत्यन्त कुपित हो उठती है, और बटलोही के ढकने के समान, पृथ्वी के ऊपरी भाग को वह बलपूर्वक ऊपर उठा देती है। ऐंडीज़ ओर अल्पस आदि ऊँचे ऊँचे पर्वत इसी प्रकार ऊपर उठ आये हैं। भूगर्भ-शास्त्र के जानने वालों ने इस बात को सप्रमाण सिद्ध किया है।

जिन पर्वतों में पृथ्वी के ऊपर की उबलती हुई भाफ के निकलने का मार्ग हो जाता है, अर्थात् जिनमें भीतर से ऊपर तक, एक विशाल कुवाँ सा बन जाता है उनसे, कभी कभी, आग की विकराल ज्वाला निकल पड़ती है। ऐसे पर्वतों को ज्वालामुखी अथवा अग्निगर्भ पर्वत कहते हैं।

संसार में जितने अग्निगर्भ पर्वत हैं उन सब में विस्यूरियस बड़ा ही भयङ्कर है। प्रशान्त महासागर के वेस्टइंडीज़ नामक द्वीपों में, उस वर्ष, जो एक ज्वालामुखी का स्फोट हुआ और उससे एक शहर का शहर विध्वंस हो गया, वह विस्यूवियस के हृत्कम्पकारी स्फोटों के सामने कोई चीज़ न था। विस्यूवियस, इटली में, नेपल्प की खाड़ी से थोड़ी दूर पर है। उसके चारों ओर घनी बस्ती