सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/१५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४५
विस्यूवियस के विषम स्फोट

शान्त हुआ तब देखा तो हरी घास, हरी पत्ती, हरे पेड़ हरे पौधे एकदम ही नष्ट हो गये थे। सब कहीं राख और धुर्वे का रङ्ग व्याप्त था। आदमियों का रङ्ग भी वैसा ही हो गया था। तब तक कुछ कुछ अँधेरा छाया हुआ था। उसी में लोग भूतों की शक्ल के बने हुए इधर उधर घूम रहे थे। नेपल्स के होटल खाली हो गये थे। लोग भाग कर रोम चले गये थे। इटली के बादशाह और राजेश्वर एडवर्ड और उनकी महारानी विस्यूवियस देखने को पधारे। करोड़ों की धन सम्पत्ति जो इस स्फोट से नष्ट हुई है और जो हजारों आदमी मरे और बेघर द्वार के हो गये हैं उन पर दया करके दयाशील जन चन्दा कर रहे हैं। इटली के बादशाह ने बहुत कुछ मदद की है। एडवर्ड सप्तम ने भी कुछ दिया है।

स्फोट के शुरू होने पर विलायती पन्नों में जो तार प्रकाशित हुए थे, उनका संक्षिप्त आशय देकर हम इस लेख को समाप्त करते हैं। ९ अप्रैल को नेपल्स से खबर आई कि विस्यूवियस का स्फोट फिर शुरू हुआ। आकाश में फुट तक आग को ज्वाला उड़ रही है। हर भयकर नाद के बाद पृथ्वी के पेट में गड़गड़ाहट होती है। आस पास की जमीन हिल रही है। गाँव और नगर जल रहे हैं। आदमी मारे डर के पागल की तरह भाग रहे हैं। भगोड़ों से नेपल्स भर गया है। कोई दो लाख आदमी बे घर-द्वार के होकर