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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/३५

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शिक्षा

पेचीदा सवाल को हल करने के लिए जिन नियमों या सिद्धान्तों के जानने की ज़रूरत है उन पर जिस आदमी ने शायद ही कभी ध्यान दिया है वह यदि सवाल को हल करने चले तो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है? क्या यह सम्भव है कि वह उस सवाल को हल कर सके? चमड़े की चीज़ों तैयार करने, घर बनाने, या रेलगाड़ी और जहाज़ चलाने की विद्या सीखने के लिए बहुत दिन तक उम्मेदवारी करनी पड़ती है। बहुत दिन तक काम सीखना पड़ता है। तो क्या मनुष्य की शारीरिक और मानसिक शक्तियों की तरक्की देने---—उनको विकसित करने का काम इतना सीधा है कि बिना किसी तरह की तैयारी के हर आदमी उसका प्रबन्ध और देखभाल कर सकता है? यदि नहीं कर सकता और यदि यह काम सांसारिक कामों में एक को छोड़ कर और सब से अधिक पेचीदा है, और उसका ठीक ठीक व्यवस्था करना बहुत ही कठिन है--- तो उसे अच्छी तरह करने के लिए पहले से कुछ भी तैयारी न करना क्या पागलपन नहीं? दिखाव के जो काम हैं, बनठन कर दूसरों पर अपना असर डालने के जो काम हैं, उनके बलिदान से----उन पर ध्यान न देने से---विशेष हानि नहीं? पर शिक्षा सम्बन्धी इस अत्यन्त ज़रूरी ओर अत्यन्त महत्त्व के काम में बेपरवाही करने से बहुत बड़ा हानि है। अतएव इस काम में उदासीनता