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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/७२

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युद्ध-सम्बन्धी अन्तर्जातीय नियम

सभ्य राष्ट्रों ने मिल कर कुछ ऐसे नियम बनाये हैं, जिनका पालन उन्हें युद्ध के समय करना पड़ता है। टिपली के सम्बन्ध में टर्की और इटली का युद्ध शान्त हुआ ही था कि टर्की और बालकन प्रदेश के मान्टिनिगरो, सरपिया, बलगेरिया और ग्रीस में युद्ध छिड़ गया। अतएव ऐसे अवसर पर उन नियमों का प्रकाशन असामयिक न होगा। वे नियम संक्षेप में, नीचे दिये जाते हैं---

जब कोई राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र को किसी तरह की हानि पहुँचाता है या उसका अपमान करता है तब कहा जाता है कि हानि का बदला दो और अपमान के लिए माती माँगो। यदि सहज ही में यह काम हो जाता है तो युद्ध की तैयारी नहीं होती। हानि और अपमान करने वाले के शासन के लिए युद्ध अन्तिम साधन है। अन्य उपायों से जब तक काम चल सकता है तब तक युद्ध नहीं ठाना