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पृष्ठ:प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि.djvu/७९

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युद्ध-सम्बन्धी अन्तर्जातीय नियम

में लाये जायँ जिनका काम फूट कर हवा को विषैला बनाना ही हो। सभा की इस बात को सब राष्ट्रों ने स्वीकार कर लिया।

समुद्र में बारूद की सुरङ्ग लगा कर शत्रु के जहाज़ नष्ट कर दिये जाते हैं। समुद्र में तट से तीन मील तक इस प्रकार की सुरङ्ग लगाने का हर राष्ट्र को अधिकार है। परन्तु ये सुरङ्ग होती बड़ी भयङ्कर हैं। यदि किसी प्रकार ढीली पड़ जाय तो बहती बहती कहीं की कहीं पहुँच जाएँ और केवल सैनिक जहाजों ही को नहीं, किन्तु उनसे टकरा जाने वाले व्यापारी जहाजों तक को नष्ट कर दें। इन सुरङ्गों की निरंकुशता पर सैनिक समुदाय भयभीत हो रहा है। हेग के महा न्यायालय में इस विषय पर शीघ्र ही विचार होने वाला है।

जो सैनिक शान्ति सूचक झण्डियाँ लेकर या शत्रु के सैनिकों की वर्दी पहन कर शत्रुओं को धोखा देते हैं वे यथार्थ में रण-नीति के विरुद्ध कार्य करते हैं। नियम है कि जिस सैनिक के हाथ में शान्ति की झण्डी हो उस पर न तो वार किया जाय, न उसे ओर प्रकार का कष्ट पहुंचाया जाय, और न वह कैद ही किया जाय। गत रूस-जापान में रूसियों ने एक बार इस नियम का उल्लङ्घन किया था। नानशन में युद्ध हो रहा था। रूसियों ने शान्ति के सफेद झण्डे ऊपर उठाये। जापानियों ने समझा कि वे