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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४१७

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कुली इकट्ठे हो गये। मधुबन उन सबो में अविचल खडा रहा। उसने सोचा कि "अभी समय है। यदि झगडा वढा और पुलिस तक पहुँचा तो फिर. .?" क्षण भर मे उसने कर्तव्य निश्चित कर लिया । कडककर बोलासुनो चिरकिट । समय पडन पर मेहनत-मजूरी करके खाने से जनेऊ नीचा नही हो जायगा । आज से फिर कभी तुम ऐसी वात न बोलना, और तुमको मेरा यहाँ रहना बुरा लगता हो तो लो, हम लोग चले। जहाँ हाथ-पैर चलावेगे वही पसा लेगे । ___रामदीन समझ चुका था। उसने कम्बल की गठरी बाँधी; दोनो चले । मधुवन को रोककर कुलियो को उससे झगडा करने का उत्साह न हुआ। उसकी भी कलकत्ते मे रहने की इच्छा थी। हावडा के पुल पर आकर उसने एक नया ससार देखा । जनता का जगल ! सब मनुष्य जैसे समय और अवकाश का अतिक्रमण करके, बहुत शीघ्र, अपना काम कर डालने में व्यस्त हैं। वह चकित-सा चला जा रहा था। घूमता हुआ जब मछुआ बाजार के भीड से आगे बढा तो उसको ज्वर अच्छी तरह हो आया था। फिर भी उसे विश्राम के लिए इस जनाकीर्ण नगर मे कही स्थान न था। पटरी पर एक जगह भीड लग रही थी। एक लडका अपनी भद्दी सगीतकला से लोगो का मनोरजन कर रहा था। रामधारी पाडे एक मारवाडी कोठी का जमादार था। उसके साथ दस-बारह बलिप्ठ युवक रहते थे। उसके नाम के लिए तो नौकरी थी, परन्तु अधिक लाभ तो उसको इन नवयुवको के साथ रहने का था । सब लोग, इस कानून के युग मे भी, वाहुबल से कुछ आशा, भय और सहानुभूति रखते थे। मुरती-चूना मलते हुए प्राय. तमोली को दूकान पर वह बैठा दिखाई पड़ता और एक-न-एक तमाशा लगाये रहने से बाजार उसके बहुत-से काम सधा करते थे। रहीम नाम का एक बदमाश मछुआ में उन दिनो बहुत तप रहा था। इसीलिए रामधारी को पांचो उँगलियां घी मे थी! ____रहीम के दल का ही वह लडका था। उसका काम था कही भी खडे होकर नाच-गाकर कुछ भीड इकट्ठी कर लेना। उसी समय उसके अन्य साथी गिरहकट लडके जेब कतरते थे। उन सवो की रक्षा के लिए रहीम के दो-एक चर भी रहते थे, जो आवश्यकता होने पर दो-चार हाथ इधर-उधर चलाकर लडको के भागने मे सहायता करते थे। रामधारी और रहीम म सन्धि थी। साधारण बातो पर वे लोग कभी झगडते न थे 1 जिनसे पूरी थैली मिलती, उनके लिए कभी-कभी दोचार खोपडियो का रक्त निकाल दिया जाता था, वह भी केवल दिखाने के लिए! कलकत्ता में यह व्यापार खुली सड़क पर चला करता। हाँ, तो वह लडका तितली: ३६३