सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

मैना ने उसे पहचानते हुए कहा कि उस रात मे रुपया की थैली लेकर छिपने के लिए मधुवन मेरे यहां अवश्य आया था, पर मैंने उस अपने यहां रहने नहीं दिया, वह रुपये लकर उसी समय चला गया, ता मधुवन उसके मुंह को एकटक देख रहा था। मेना । वही तो वोल रही थी । वह वहाँ धन की प्यासी पिशाची उसका सकेत, उसकी सहृदयता, सब अभिनय 1 रुपये पचा लेने की कारीगरी । मधुवन को काठ मार गया। वह चेतना-विहीन शरीर लेकर उस अद्भुत अभिनय को देख रहा था। उसे दस वर्ष सपरिश्रम कठोर कारावास का दण्ड मिला। बोरू बाबू ने रिक्शा खरीदने की रसीद दिखाकर रिक्शा पर अपना अधिकार प्रमाणित कर दिया। रिक्शा उन्हें मिल गया। उस परोपकार संघ मे मूर्ख रामदीन फिर रिक्शा खीचने लगा। हाँ, ननीगोपाल उस सघ से अलग हो गया। उमे बीरू बाबू से अत्यन्त घृणा हो गई । ४०० प्रसाद वाइमप