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पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४३०

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सचमुच यह सराहनीय उद्याग है। वाट्सन न कहा- मुझे ता यह अद्भूत मालूम पडता है बडा ही मधुर और प्रभावशाली भी। क्यो तुम कोई सहायता नही लना चाहती ? मुझे कुछ बता सक्ती हो ? आप उस सुनकर क्या करेगे ? वह बात अच्छी न लगे तो मुझ और भी दुख हागा। आप लागा की सहानुभूति हो मेर लिए बढी भारी महायता है । -तितली ने सिर नीचा कर वृतज्ञ-भाव स कहा। परन्तु एसी अच्छी सस्था थार-से धनाभाव के कारण अच्छी तरह न चले सके, तो बुरी बात है । मैं क्या इस उदासीनता का कारण नही सुन सकता? मैं विवश होकर कहती हूँ। मैं अपनी राटियां इसस लेती हूँ। तब मुझे किसी की सहायता लने का क्या अधिकार है ? मैं दो आने महीना लडकियो से पाती हूँ। और उतने स पाठशाला का काम अच्छी तरह चलता है । कुछ मुझे वच भी जाता है । जमीदार न मेरी पुरखा की डीह ले ली । मुझे माफी पर भी गान देना पड़ रहा है । और मुझे इस विपत्ति म डालने वाले है यहाँ के जमीदार और तहसीलदार साहब ! तब भी आप लोग कहत है कि मैं उन्ही लोगा मे सहायता हाँ, मैं तो उचित समझता हूँ । इस अवस्था मे ता तुम्ह और भी सहायता मिलनी चाहिए और तुमने तो मेरे चकबन्दी के काम म । सहायता की है-यही न आप कहना चाहते हैं ? वह तो मेरे हित की बात थी, मेरा स्वार्थ था । देखिए, उस खेत के मिल जान स मैं अपना पुराना टोला खुदवाकर उसकी मिट्टी से ईंटे बनवा रही हैं । उधर समतल हाकर वह बनजरिया को रामजस वाले खेत से मिला देगा। तुमसे मैं और भी सहायता चाहता हूँ। मैं क्या सहायता दे सकूँगी? तुम कम से कम स्त्री-किसानो को बदले के लिए समझा सकती हो जिसस गॉव मे सुधार का काम सुगमता से चले। ___ जमीदार साहब के रहते वह सब कुछ नहीं हो सकेगा। सरकार कुछ कर नही सकती। उन्ह अपने स्वार्थ के लिए किसानो मे कलह कराना पडेगा । अभीअभी देखिए न, पूर के लिए मुकदमा हाईकार्ट म लड रहा है । तहसीलदार को कुछ मिला । उसने वहाँ से एक किसान को उभाडकर घूर न फेकने के लिए मारपीट करा दी। वह पूर फेफना बन्द कर उस टुकडे को नजराना ल कर दूसरे के साथ बन्दोबस्त करना चाहता है। यदि आप लोग वास्तविक सुधार करना चाहते हो, तो खेतो के टुकडो को निश्चित रूप में बाट दीजिए और सरकार उन पर ४०६ प्रसाद वाङ्मय