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पृष्ठ:प्रेम-पंचमी.djvu/९

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सफल ज्ञान होने के बजाय ऐंद्रजालिक भ्रांति ही अधिक उत्पन होती है।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर हमने हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कहानी- लेखक श्रीयुत मुंशी प्रेमचदजी की सैकड़ो कहानियों का आलोडन करने के बाद नवनीत-सस यह उनकी पाँच सर्वोत्तम कहानियों का संग्रह प्रकाशित किया है। इन कहानियो का संग्रह करने में हमने बालोपयोगिता को ही सबसे मुख्य लक्ष्य रक्खा है। कोई भी कहानी ऐसी नहीं रक्खी गई, जिसमें व्यर्थ के लिये राजनीतिक, पचड़ों को घसीटा गया हो। साथ-ही-साथ दांपत्य-प्रेम तथा यौवनोन्माद से संबध रखनेवाली कहानियाँ भी हमने छोड़ दी हैं, क्योंकि हमारी समझ में वे कोमल-भति बालकों के लिये हानिकर ही हो सकती हैं, लाभदायक नहीं। भाषा तथा शैली की दृष्टि से भी ये कहानियाँ प्रेमचदजी की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ हैं। इनमें उनकी शैली के सभी प्रकारों का समावेश हो गया है। 'मृत्यु के पीछे' कहानी में प्रमचंदजी की आदर्श-सृष्टि, वर्णन शैली तथा भावों की ऊहापोह पूर्ण रूप से प्रकट हुई है। 'आभूषण' में उनका कथा-वस्तु पर अधिकार पूर्णतया प्रस्फुटित हुआ है। मनोविज्ञान का अध्ययन भी उसमें ख़ूब विकसित हुआ है। मध्य श्रेणी के हिंदोस्तानी घर का उसमें सजीव चित्र देखने को मिलता है। 'राज्य-भक्त' में ऐतिहासिक आधार पर लिखी हुई उनकी इस तरह की सर्वश्रेष्ट कहानी है। लखनऊ के अंतिम नवाबी दिनों का ख़ाका-सा आँखों के सामने नाचने लगता है। 'अधिकार- चिंता' अपने ढंग की एक ही कहानी है। पशुओं की मनोवृत्ति का बड़ा ही सुंदर अध्ययन तथा प्राकृतिक दृश्य-वर्णन इस कहानी में मिलता है। प्रेमचंदजी को भाषा का लोच इस कहानी में पूर्णतया प्रकट होता है। 'गृह-दाह' हिंदास्तानी घरों में प्रतिदिन होनेवाले नाटकों का एक दृश्य है। आदर्श भ्रातृ-प्रेम का चित्रण जैसा इस