पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/१००

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भारतकी स्वाधीनता और पराधीनता।
 

अवस्थाका बोध होता है, यही सर्वसाधारणकी प्रतीति है। राजा यदि दूसरे देशका हो तो उसकी प्रजा पराधीन और वह राज्य परतन्त्र है। इस कारण, इस समय अँगरेजोंके शासनाधीन भारतवर्षको पराधीन और परतन्त्र कहा जाता है। इस धारणाकी जड़ क्या है, इसीपर पहले विचार करना उचित है।

महारानी विक्टोरियाको अँगरेज-कन्या कहा जा सकता है। किन्तु उनके पूर्वपुरुष प्रथम या द्वितीय जार्ज अँगरेज नहीं थे। वे जर्मन थे। तृतीय विलियम पोर्चुगीज थे। बोनापार्ट कार्सिकाय इटालियन थे। स्पेनके भूत- पूर्व प्राचीन बूोवंशके राजा फ्रेंच थे। रोम-साम्राज्यके सिंहासनपर अनेक बर्बर जातिके सम्राट् बैठे थे। इस प्रकारकी सैकड़ों घटनाओंका उल्लेख किया जा सकता है। देखा जाता है कि इन सब राज्यों में उस उस समय भिन्न जातिके राजा थे। अच्छा, उस उस समय ये सब राज्य पराधीन या परतन्त्र कहे जा सकते हैं या नहीं? कोई नहीं कह सकता कि ये राज्य उस उस समयमें पराधीन थे। यदि प्रथम जार्जके शासनाधीन इंग्लैंडको या ट्रेजन-शासित रोमको पराधीन नहीं कहा जा सकता, तो शाहजहाँके शासनाधीन भारतवर्षको या अलीवर्दीखाँके शासनाधीन बंगालको पराधीन क्यों कहते हैं?

देखा जाता है कि शासनकर्ता भिन्न जातिका होनेसे ही राज्य परतन्त्र नहीं होता। इस बातके भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं कि शासन- कर्ताके स्वजातीय होनेसे ही राज्य स्वतन्त्र नहीं होता। वाशिंगटनके किये युद्धके पहले अमेरिकाके शासनकर्ता स्वजातीय थे। उपनिवेशों ( कलोनियों ) भरकी प्रथमावस्थामें शासनकर्ता स्वजातीय हुआ करता है। किन्तु उस अव- स्थामें उपनिवेशोंको कभी स्वतन्त्र नहीं कहा जा सकता।

तो फिर परतन्त्र किसे कहते हैं ?

यह निश्चित है कि अँगरेजोंके अधीन आधुनिक भारत परतन्त्र राज्य है। रोमन लोगोंद्वारा विजित ब्रिटेनसे लेकर सीरिया तक सब राज्य परतन्त्र थे। अलजियर्स या जमेका परतन्त्र राज्य हैं। ये सब राज्य क्यों परन्तत्र हैं ?

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