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पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५७६

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भारतदुर्दशा


पड़ा था पर इसने न हॉका।" सच है किस जिंदगी के वास्ते तकलीफ उठाना, मजे में हालमस्त पड़े रहना। सुख केवल हम में हैं "आलसी पड़े कुएँ में वहीं चैन है।"

(गाता है)

(ग़ज़ल)

दुनिया में हाथ-पैर हिलाना नहीं अच्छा।

मर जाना पै उठके कहीं जाना नहीं अच्छा॥
बिस्तर प मिस्ले लोथ पड़े रहना हमेशा।
बंदर की तरह धूम मचाना नहीं अच्छा॥
"रहने दो जमीं पर मुझे आराम यहीं है।"
छेड़ो न नक्शेपा हैं मिटाना नहीं अच्छा॥
उठ करके घर से कौन चले यार के घर तक।
"मौत अच्छी है पर दिल का लगाना नहीं अच्छा॥"
धोती भी पहिने जब कि कोई गैर पिन्हा दे।
उमरा को हाथ-पैर चलाना नहीं अच्छा॥
सिर भारी चीज है इसे तकलीफ हो तो हो।
पर जीभ बिचारी को सताना नहीं अच्छा॥
फाको से मरिए पर न कोई काम कीजिए।
दुनिया नहीं अच्छी है जमाना नहीं अच्छा॥
सिजदे से गर बिहिश्त मिले दूर कीजिए।

दोजख ही सही सिर का झुकाना नहीं अच्छा॥