सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

नीलदेवी
ऐतिहासिक गीतिरूपक
(वियोगांत)

पहला दृश्य
स्थान––हिमगिरि का शिखर
(तीन अप्सरा गान करती हुई दिखाई देती हैं)

अप्सरागण––(झिंझौटी जल्द तिताला)

धन धन भारत की छत्रानी।
वीरकन्यका वीरप्रसविनी वीरवधू जग-जानी॥
सतीसिरोमनि धरमधुरंधर बुधि-बल धीरज-खानी।
इनके जस की तिहूँ लोक में अमल धुजा फहरानी॥
सब मिलि गाओ प्रेमबधाई।
यह संसार-रतन इक प्रेमहि और बादि चतुराई॥
प्रेम बिना फीकी सब बातैं कहहु न लाख बनाई।
जोग ध्यान जप तप व्रत पूजा प्रेम बिना बिनसाई॥