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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/१७३

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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ १७७—१८०

सदनों विषयक
मंत्रियों और
महाधिवक्ता के
अधिकार
१७७. राज्य के प्रत्येक मंत्री और महाधिवक्ता को अधिकार होगा कि वह उस राज्य की विधान-सभा में, अथवा राज्य में विधान-परिषद् होने की अवस्था में दोनों सदनों में, बोले तथा दूसरे प्रकार से उनकी कार्यवाहियों में भाग ले तथा विधान-मंडल की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया हो, बोले तथा दूसरे प्रकार से कार्यवाहियों में भाग ले, किन्तु इस अनुच्छेद के आधार पर उसको मत देने का हक्क न होगा।

राज्य के विधानमंडल के पदाधिकारी

विधान-सभा का
अध्यक्ष और
उपाध्यक्ष
१७८. राज्य की प्रत्येक विधान-सभा यथासम्भव शीघ्र अपने दो सदस्यों को क्रमशः अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी तथा जब जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त हो तब तब सभा किसी अन्य सदस्य को यथास्थिति अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी।

अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
की पदरिक्तता,
पदत्याग तथा पद
से हटाया जाना
१७९. विधान-सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में पद धारण करने वाला सदस्य—

(क) यदि सभा का सदस्य नहीं रहता तो अपना पद रिक्त कर देगा;
(ख) किसी समय भी अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा, जो उपाध्यक्ष को सम्बोधित होगा यदि वह सदस्य अध्यक्ष है, तथा अध्यक्ष को सम्बोधित होगा यदि वह सदस्य उपाध्यक्ष है, अपना पद त्याग सकेगा; तथा
(ग) विधान-सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा;

परन्तु खंड (ग) के प्रयोजन के हेतु कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित न किया जायेगा जब तक कि उस संकल्प के प्रस्तावित करने के अभिप्राय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो;

परन्तु यह और भी कि जब कभी विधान-सभा का विघटन किया जाये तो विघटन के पश्चात् होने वाले विधान-सभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहिले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त न करेगा।

अध्यक्ष-पद के
कर्तव्य-पालन की
अथवा अध्यक्ष के
रूप में कार्य करने
की उपाध्यक्ष या अन्य
व्यक्ति की शक्ति
१८०. (१) जब कि अध्यक्ष का पद रिक्त हो तब उपाध्यक्ष अथवा, यदि उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त हो, तो विधान-सभा का ऐसा सदस्य, जिसे राज्यपाल उस प्रयोजन के लिये नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।

(२) विधान-सभा की किसी भी बैठक से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष अथवा, यदि वह भी अनुपस्थित है तो, ऐसा व्यक्ति, जो सभा की प्रक्रिया के नियमों से निर्धारित किया जाये, अथवा यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं हो तो, अन्य व्यक्ति जिसे सभा निर्धारित करे, अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।

12–1 M. of Law/57.