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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४९

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भारत का संविधान

 

भाग १—संघ और उसका राज्य-क्षेत्र-अनु॰ ४

प्रथम और चतुर्थ
अनुसूचियों के संशो-
धन तथा अनुपूरक,
प्रासंगिक और
अनुषंगिक विषयों के
लिये अनुच्छेद २
और ३ के अधीन
निर्मित विधियां

४. (१) अनुच्छेद २ या अनुच्छेद ३ में निर्दिष्ट किसी विधि में प्रथम अनुसूची और चतुर्थ अनुसूची के संशोधन के लिये ऐसे उपबन्ध अन्तविष्ट होंगे जो उस विधि के उपबन्धों को प्रभावी बनाने के लिये आवश्यक हो, तथा ऐसे अनुपरक आनषंगिक उपबन्ध प्रासंगिक औ- (जिन के अन्तर्गत ऐसी विधि स प्रभावित राज्य या राज्यों के, संसद् या विधान-मंडल या विधान-मंडलों में, प्रतिनिधित्व के बारे में उपबन्ध भी हैं) भी हो सकेंगे, जिन्हें संसद् आवश्यक समझे।

(२) पूर्वोक्त प्रकार की ऐसी कोई विधि अनुच्छेद ३६८ के प्रयोजनों के लिये इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जायेगी।