सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४९
मुगलो का समय

मुग़लों का समय की शकल में लिया जाता था, किसान को वडा कायदा रहता था, क्योंकि लगान की अदायगी हर साल की असली पैदावार पर निर्भर होती थी। इसके खिलाफ प्रान कल का लगान रुपयों की शकल में नियत होता है जिसका उस लाल की पैदावार के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होता।" हर मुगल सम्राट की तरफ से तमाम सूबों के कर्मचारियों और सामन रेशों के नाम बार बार इस मज़मून की आज्ञाएँ निकलती रहती थी । कसी किसान के साथ लगान की वसूली में या किसी मामले में किस रह की ज़बरदस्ती न की जाय और कोई नाजायज़ रकम या 'अयवाद कसी से वसूल न की जाय। इतिहास लेखक फ्रेडरिक आगस्टस लिखला है कि- ____"जब कभी सम्राट की सेना ग्रामों में से होकर निकलती श्री और उनके कूच की वजह से किसान के माल को हानि पहुँचती थी या उसकी बरबादी होती थी, तो विश्वस्त आदमी इस बात के लिए नियुक्त किए जाते थे कि वे उस हानि या बवादी के मूल्य का ठोक ठीक तखमीना लगाएँ । तख मीना लगाने के बाद ये लोग या तो उस रकम को किसान के सरकारी लगान मे से कम कर देते थे या व्यर्थ की शिकायतों और बहसों से बचने के लिए उसी समय किसानों के दावे के अनुसार उन्हे रकम अदा कर देते थे।" HThe Emperor Akrar etc by Frederick Augustus, translatell try A. evendse, pp273-77