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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२२५

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१८५
अंग्रेजों का आना

अगरेज़ो का आना १८५ उन कल्याणकर प्रवृत्तियों को, जिनका बढना औरगजेब के समय में रुक गया था, फिर से पनपने न दें। उनकी सफलता के कारण किन्तु एक गम्भीर प्रश्न हमारे सामने ग्रह पैदा होता है कि क्या कारण हुए जिनसे अधिक सभ्य, अधिक बलवान और अधिक उन्नत भारतवासी अपने से कम सभ्य, कम बलवान और अनुन्नत इङ्गलिस्तान निवासियों की चालों में लगातार इस आसानी से प्राते चले गए, यहाँ तक कि अन्त में अपना सर्वस्व खो बैठे। यही प्रश्न इस पुस्तक को पढने से हर पाठक के दिल में पैदा होगा। वास्तव में इतिहास की ग्रह एक कठिनतम पहेलियों में से है। ___ सबसे पहले कुशानधी क्रांसीसी सेनापति दूप्ले ने मालूम किया कि यूरोपीय अर्थों में 'राष्ट्रीयता' या 'देशभक्ति' का उस समय भारत में अभाव था। दूप्ले के अनुसार यूरोपनिदासियों के लिए भारतवासियों को एक दूसरे से लड़ा देना निहायत आसान था और इसी लिए भारत अपनी आजादी खो बैठा । निस्सन्देह दूप्ले की बात एक दरजे तक सत्य अवश्य है, किन्तु हमें इस पर और अधिक गम्भीरता के साथ विचार करना होगा ! अंगरेज विद्वान करनल मालेसन लिखता है कि अपने कौमी चरित्र की जिन कमजोरियों के कारण भारतवासी पराधीन किए जा सके उनमें एक यह थी कि उन्हें "स्वभाव से ही गैरों पर विश्वास कर लेने और उनके साथ ईमानदारी का व्यवहार करने की श्रादत," थी 18 करनल मालेसन का कथन दृप्ले के कथन की निस्बत सच्चाई के ज्यादा नज़दीक है। ".-The Disasard the trusting and faschiul nature Batales ofTnha, by Colonal Malleson, chaptert