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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२७३

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भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश

भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश २१ औरंगजेब ने उदारता में श्राकर और उन पर विश्वास करके उन्हें बख्श दिया और सूरत आदि की कोठियाँ उन्हें वापस दे दी। सन् १६६६ में औरंगजेब ने उन्हें कई नई कोठियाँ कायम करने और वहाँ पर अपनी हिफाजत के लिये किलेबंदी करने तक की इजाजत दे दी। औरंगज़ेब ही के समय में उसके पौत्र अजीमशाह ने बंगाल के सूबेदार की हैसियत से हुगली नदी के ऊपर छूतानटी, कलकत्ता और गोविन्दपुर नाम के तीन गाँव बतौर जागीर कम्पनी को दे दिये । उसा समय फोर्ट विलियम किले की बुनियाद डाली गई । जिस समय पहले पहल यह किलेबंदी की जा रही थी, औरंगजेब के पास इसकी खबर पहुँची। औरंगजेब को सलाह दी गई कि इस किलेबंदी को रोका जावे, किन्तु दिल्ली सम्राट की नजरों में अंगरेज उस समय एक इतनी तुच्छ चीज थे कि उनकी इन कार्रवाइयों में दखल देना उसे गैर ज़रूरो मालूम हुआ । इन गरीब परदेसियों के साथ वह हर तरह दया और उदारता का ही व्यवहार करना चाहता था। औरंगजेब ने उत्तर दिया:- "मैं इन चीज़ों में क्यों दखल दूं ? बहुत मुमकिन है कि आसपास की मेरी देशी रिआया उनसे ईर्षा रखतो हो और झगड़े करती हो, फिरंगी लोग अपनी शक्ति भर अपनी हिफ़ाज़त का इन्तजाम क्यों न करे ? ये हारीब लोग इतनी दूर से आये हैं और अपनी रोज़ी के लिये इतनी मेहनत करते हैं। मैं उन्हें क्यों रोकं ?

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