सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८६
भारत में अंगरेज़ी राज

भारत मे अंगरेजी राज उसने दुखी होकर २२ मार्च लन् १७५७ को ऐडमिरल बाटसन के नाम यह पत्र भेजा :- ___"मैंने जो कुछ वादा किया है और दस्तखत किए हैं उस पर मैं पक्का ____ रहूंगा और किसी तरह भी उससे न हटूंगा। वाट्स सिराजुद्दौला की ___ साहब की सब इच्छाएँ और जो कुछ उन्होने मुझसे सद्भाशाए - कहा मैंने सब पूरा कर दिया और जो कुछ बानी है वह भी इस चाँद को पन्द्रह तारीख तक दे दिया जायगा । वाट्स साहब ने ये सब बाते मुफस्सिल तौर पर आपको लिखी होंगी । किन्तु जावजूद इस सत्र के मुझे अनेक बानों से मालूम होता है कि आप मेरे साथ अपनी सन्धि को मिटा देना चाहते हैं । हुगली, इंगली, बर्धमान और नदिया के इलाकों को आपकी सेना ने वीरान कर डाला है। यह क्यों ? इसके अलावा गोविन्दराम मित्र ने रामदीन घोष के लड़के को मार्फत (दुगली के फौजदार ) नन्दकुमार को लिख भेजा है कि कालीघाट का इलाका कलकत्ते के जिले में शामिल है इसलिए वह गोविन्दराम के हवाले कर दिया जाय । इसका क्या अर्थ है ?xx x आपके वादों पर विश्वास करके मैंने सुलह की थी ताकि देश का भला हो और दोनों ओर की सेनाओं द्वारा शाही इलाकों की बरबादी न हो, न कि इसलिए कि प्रजा को पाँव तले कुचला जावे और सरकारी मालगुजारी में बाधा पड़े। "श्रापकी कोशिश यह होनी चाहिये कि जो मित्रता हमारे आपके बीच मड़ पकड़ गई है वह दिन प्रतिदिन मजबूत होती जावे x x x" एक श्रोर भोला सिराजुद्दौला अभी तक इन विदेशियों के साथ अमन से रहने के स्वम देख रहा था, दूसरी ओर क्लाइव और