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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३६६

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज बल को तोड़ना था। इसलिए रामनारायन पर अभी और मुसीबतों का श्राना बाकी था। __ दूसरा हिन्दू नरेश, जिस पर मीर जाफ़र और क्लाइव की नज़र गई, उड़ीसा का राजा रामरमसिंह था । राजा रामरमसिंह मासह उड़ीसा भी बिहार के समान बंगाल के पर हमला - सूवेदार के अधीन था। क्लाइव जिस समय मुर्शिदाबाद में था, मीर जाफ़र ने राजा रामरमसिंह को अपने प्रान्त की मालगुजारी का हिसाब समझाने के बहाने मुर्शिदाबाद बुलवा भेजा। रामरमसिंह को सन्देह हुआ, उसने खुद न आकर अपने एक भाई और एक भतीजे को हिसाब की किताबों सहित मुर्शिदाबाद भेज दिया। ये दोनों मुर्शिदाबाद पहुँचते ही कैद कर लिए गए । राजा रामरमसिंह का सन्देह सच्चा सावित हुआ ! रामरमसिंह साहसी था, वह यह भी समझता था कि मुर्शिदाबाद के दरवार को असली बाग क्लाइव के हाथों में है। उसने फौरन मीर जाफ़र के इस व्यवहार की शिकायत करते हुए क्लाइव को लिखा-"मैंने एक ज़बरदस्त सेना जमा कर ली है, जिसमें २,००० सवार और ५००० पैदल हैं और यदि नया नवाब मुझे गिरफ्तार करने या दवाने के लिए सेना भेजने की गलती करेगा, तो मैं उसके मुकाबले के लिए काफी हूँ, किन्तु यदि आप मध्यस्थ होकर मेरी सलामती का जिम्मा ले तो मैं खुद आकर मीर जाफर से मिलने और एक लाख रुपए नज़राना पेश करने के लिए तैयार हूँ"