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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३७०

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भारत में अंगरेज़ी राज

-... m4 JEALMAANE भारत में अंगरेजी राज दिखाए गए। उसे लाचार होकर झुकना पड़ा। इतिहास लेखक मैलकम लिखता है कि इस अवसर पर :-- 'एक रकम सेना के गैरमामूली खर्च के लिए वसूल कर ली गई । जो जमीने कम्पनी को दी गई थीं उनके परवाने बाकायदा जारी कराए गए। ( दरबार से) हुकुम जारी कराए गए कि नवाब के पहले के महीने के कजें की तमाम बकाया दुरन्त चुका दी जावे । बानो तमाम क्रों को चुकाने के लिए उस समय तक, जब तक कि कर्जा पूरा न हो जावे, बर्धमान, नदिया और हुगली तीन जिलों की सरकारी मालगुजारी कम्पनी के नाम करा ली गई। क्लाइव ने कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम ८ फरवरी सन् १७५८ के पत्र में लिखा-'इससे अब हमारे कर्जे का चुकाया जाना नवाब के हाथों से बिलकुल स्वतन्त्र हो गया है xxx"* हमें याद रखना चाहिये कि इस कर्जे में एक कौड़ी ऐसी न थी जो कम्पनी ने या किसी अंगरेज़ ने कभी मीर जाफर को सचमुच कर्ज दी हो। यह वह धन था जो मीर जाफर ने मसनद के बदले में अंगरेजो को देने का वादा कर लिया था। क्लाइव और मीर जाफ़र अब ५०००० सेना के साथ पटने की

  • 'A supply of money was procured for the extraordinary expenses of

the army , the pervannah, or grant of lands vielded to the Company, was passed in all its forms , orders were issued for the immediate discharge of all arrears on the first Sr months of the Nawab's debt, and the revenues of Burdwan, Nuddea and Hugli assigned over for payment of the rest -'S0 that,' 21, Clive, writing | 8.h Felruar', 1758] to the Court of Prectors the discharge of the debt is not become independent of the Nawab -~-Malcolm's Life of Cre sol 1, 338