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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४०

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश कप्तान ईस्टबिक, जिसे ठीक उन्हीं दिनों कई साल सिन्ध में रहने पन्ध के देशी शासकों और वहाँ की प्रजा दोनों से मिलने जुलने का र मिला और लो सिन्ध की भाषाओं और वहाँ के रस्मोरिवाज से रह परिचित था, इस लज्जाजनक झूठ की आलोचना करते हुए एक रोपियन विद्वान ब्रैटन का नीचे लिखा वाक्य नकल करता है-~- "इतिहास में अनेक बातें ऐसी लिखी मिलती है, जिनको सच मावित करने या जिनका खण्डन करने का कोई खास मूल्य नहीं है । सदाचार की इस तरह की ऊँची (किन्तु असत्य) मिसाले इतिहास में मिलती हैं, जिन्हें यदि एक बार लोगों ने सचा मान लिया है तो उनसे दुनियां का भला ही हुआ है। किन्तु जब किसी व्यक्ति था जाति के चरित्र पर कलङ्क लगाए जाते हैं और जब हम यह देखते हैं कि कितनी आसानी से उन झूठे कलङ्कों का प्रचार किया जाता है, कितने शौक के साथ लोग उन्हें पढ़ते और सुनते हैं, और जिन बातों को गढ़ लेने या फैलाने में कुछ भी खर्च नहीं होता, किन्तु जिनका पूरी तरह खण्डन करने में जिन्दगी भर मेहनत और इस तरह की परिस्थिति की जरूरत होती है, जिसका मिलना करीब करीब नामुमकिन हो जाता है, उन बातों पर लोग सहज ही में और बेपरवाही के साथ विश्वास कर लेते हैं, 1 birth , but more frequently placed them under cushions and sat de sking and drinking and testing with each other about their hellsh w ile ther chalaxen were being suffocated. beneath them "~-The Conges. +dh, part. l, p. 348