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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४१५

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१५७
मीर का़सिम

मीर कासिम १५७ "तिजारत जो दुनिया के हर मुल्क को धनवान बनाती है, बंगाल को सर्वनाश की ओर ले जा रही थी। इससे पहले, जब कि कम्पनी को देश में कहीं भी हुकूमत करने का हक हासिल न था, अपने दस्तक या पास के ऊपर उन्हे बड़े बड़े अधिकार मिले हुए थे, कम्पनी का माल बिना महसूल दिए देशभर में आ जा सकता था । (धीरे धोरे) कम्पनी के नौकर अपनी अपनी निजी तिजारत के लिए इस पास का उपयोग करने लगे। यह मामला जब तक कि थोड़ा थोड़ा होता रहा, देश की सरकार ने कुछ हद तक इसे गवारा कर लिया, किन्तु जब सभी लोग ऐसा करने लगे तब तिजारत की जगह उसे डकैती कहना ज्यादा ठोक मालूम होता था ! "ये व्यापारी हर जगह पहुँचने थे, अपने ही दामों पर माल बेचते थे और दूसरे लोगों को जबरदस्ती मजबूर करके उनका माल अपने ही दामों पर खरीदते थे। बिलकुल ऐसा मालूम होता था कि तिजारत के बहाने एक नौज लोगों को लूटने जा रही है। लोग अपनी देशी अदालतों से रक्षा की आशा करते थे, किन्तु व्यर्थ । अंगरेज़ व्यापारियों की यह सेना जिधर जाती थी उधर हो तातारी विजेताओं से बढ़कर लूट मार और बरबादी करती थी।xxx इस तरह इस अभागे देश पर दोहरा अन्याय जारी था, जिसकी भयंकर लूट द्वारा देश चूर चूर हो रहा था ।" “Continerce, which canciner Prery other country in the world, 325 bnaging Bengal to total ruin The Compraay, r forumer times whe. it lnd 10 sovereigtity or power in the country, Pal large privileges under ner Dastuck or permit , their gooas passed witout rasing duties turough the country The servants of the Compani rade use of this dustuck for incur own private trade, which, stule It was used with morderation, the native Government Finked at in some degree tut when it got nholly to pnyate