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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४४८

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज सम्बन्ध में मालेसन लिखता है कि-"अंगरेजों की सफलता में जितनी सहायता भारतीय नेताओं और नरेशों की परस्पर की ईर्षा से मिली है उतनी दूसरी किसी भी चीज़ से नहीं मिली।" भीर कासिम की सेना ने अब अदद्वानाला नामक ऐतिहासिक ___स्थान पर अपना अन्तिम पड़ा किया। प्राकृतिक स्थिति और मीर कासिम दूरदर्शिता दोनों ने दोनों ओर की से मिलकर इस स्थान को सुरक्षित और अभेद्य बना रक्खा था। एक ओर गंगा ऊदवानाला नाम की गहरी नदी जो गंगा में गिरती थी, तीसरी ओर राजमहल की दुरारोह पहाड़ियाँ और चौथी ओर मीर कासिम की वनवाई हुई जबरदस्त खाड़ियाँ और किलबन्दी, जिसके ऊपर सौ से अधिक मजबूत तोप लगी हुई थीं। पहाड़ियों की तलहटी में खाड़ियों से ऊपर की ओर एक झील और एक लम्बी चौड़ी दलदल थी। इस दलदल के अन्दर से ही दुर्ग से बाहर श्राने जाने का एक अत्यन्त पेचदार रास्ता था, जिसका अंगरेज़ी सेना को किसी तरह पता न चल सकता था । एक महीने तक मीर कासिम की सेना इस दुर्ग के अन्दर और कम्पनी की सेना, जिसके साथ बूढ़ा मीर जाफ़र भी था, अदवानाला के बाहर पड़ी रही, किन्तु न अंगरेज़ अपनी तोपो के गोलों से संगीन किलेबन्दी पर किसी तरह का असर पैदा कर सके और न भीतर की सेना को

  • Few thugs have more contributed to the success of the English

than the action of jealour of each other ot the native princes and leaders of India"-Ihd, p 150