सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२०४
भारत में अंगरेज़ी राज

२०४ भारत मे अंगरेजी राज ___ और जिसे चाहा छैठा दिया । आप लोगों ने दरबार के आदमियों को अपने यहाँ कैद कर लिया और शहनशाह की हुकूमत की तौहीन और उसकी बंइज्जती की, अपने देश के व्यापारियों की तिजारत को बरबाद कर दिया, बादशाह के बागियों को अपने यहाँ पनाह दी, दरबार की आमदनी को नुकसान पहुँचाया और अपने जल्म से मुल्क के बाशिन्दों को पामाल किया। आप लोग अभी तक कलकत्ते से नई नई फौजें भेज कर शाही इलाकों पर लगातार हमले करते रहते हैं, यहाँ तक कि इलाहाबाद के सूबे के कई गांच और परगनों को भी आप लोगों ने लूट लिया है। इन सब नाजायज हरकतों की क्या वजह समझी जा सकती है, सिवाय इसके कि श्रापको दरबार की कतई परवा नहीं और आप खुद मुल्क पर कब्ज़ा करने की बेजा कोशिशों में लगे हुए हैं ? "अगर आपने यह सब अपने बादशाह के हुकुम या कम्पनी की हिदायत से किया है, तो मेहरबानी करके मुझे पूरा पूरा हाल बताइए, ताकि मैं उसका मुनासिब इलाज कर सक, लेकिन अगर इन शरारतों की वजह आपकी अपनी ही बेजा ख़्वाहिश हैं, तो आइन्दा ऐसी हरकतों से बाज़ रहिए; हुकमत के कामों में दखल न दीजिए, हर जगह से अपने आदमियों को हटा कर उन्हें अपने मुल्क को वापस भेज दीजिए, पहले की तरह कम्पनी की तिजारत जारी रखिए और महज़ तिजारती कारबार तक ही अपने तई महदूद रखिए । अगर आप इस तरह रहना चाहे तो शाही दरबार हमेशा से ज़्यादा आपकी तिजारत में मदद देगा और आपके साथ रिश्रायते करेगा । किसी ऊँचे दरजे के ओहदेदार की बतौर अपने वकील के यहाँ भेज दीजिए, जो तमाम हालार की मुझे ठीक ठीक इत्तला दे, ताकि मैं उसके मुताबिक अमल कर सक