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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५०

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश अंगरेजों के आने से पहले भारत के ऊपर अन्य विदेशियों के हमले कितने, कब कब और किस ढङ्ग के हुए और भारत ने उनका कहाँ तक सफलता के साथ मुकाबला किया। हम यह भी दिखलाएँगे कि बाहर से इस तरह के हसलों का होना भारत ही की एक विशेषता है या संसार के अन्य देशों के इतिहास में भी यह एक सामान्य घटना है । हम यह भी दिखाएँगे कि यूरोप के विविध देशों और स्वयं इङ्गलिस्तान के ऊपर इस तरह के हमले कभी हुए हैं या नहीं, यदि हुए हैं तो कितने और यूरोप के देशों ने उन हमलों का भारत की निस्बत अधिक सफलता के साथ मुकाबला किया है या नहीं । हम यह भी बयान करेंगे कि भारत पर मुसलमानों के हमले से पहले यूरोप के विविध देशों पर भी मुसलमानों के हमले हुए थे या नहीं, और यदि हुए थे तो यूरोपियन देशों ने भारत की तुलना में उनका किस तरह मुकाबला किया। हम इस बात की भी पूरी जॉच करना चाहेंगे कि भारत के ऊपर मुसलमानों के हमले किस डङ्ग के थे, भारत के लिए उन हमलों के नतीजे क्या हुए, भारत के अन्दर इसलाम मत का प्रचार वास्तव में किस ढङ्ग से और किन उपायों द्वारा किया गया, हिन्दुओं के साथ भारत के मुसलमान शासकों का व्यवहार आद्योपान्त किस ढङ्ग का रहा, दोनों धर्मों के करीब करीब एक हजार साल के सम्पर्क में भारत भर के अन्दर हिन्दुओं और मुसलमानों में किस तरह का सम्बन्ध रहा । शिल्प, विज्ञान, शिक्षा, चित्रकला, कृषि, व्यापार, उद्योग धन्धों, सुशासन और समृद्धि की दृष्टि से भारत ने मुसलमानों के शासन में कहाँ तक उन्नति या अवनति की, अंगरेजों के सम्पर्क के समय सभ्यता के विविध अङ्गों में भारत की क्या अवस्था थी, इङ्गलिस्तान की उस समय क्या हालत थी, किन कारणों से