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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५०१

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२३५
मीर जाफर की मृत्यु के बाद

मीर जाफर की मृत्यु के बाद २३५. दुर्भाग्य से इसी मौके पर बंगाल में सूखा पड़ा। फिर भी यदि कम्पनी के आदमियों की अनोति जारी न होती तो इस सूखे के होते हुए भी बंगाल में दुष्काल न पड़ सकता। कम्पनी के सरकारी कागज़ो में लिखा है कि इस सूखे के दिनों में- "कुछ एजण्टों ने चावलों की कोठियाँ भर लेने का अच्छा मौका देखा। उन्होंने अपनी कोठियाँ भर लीं, वे जानते थे कि हिन्दु मर जायँगे, लेकिन मांस खाकर अपने धर्म से भ्रष्ट न होंगे । इस लिए मरने से बचने के लिए अपना सर्वस्व देकर चावल खरीदने के सिवा उनके पास और कोई चारा न रहेगा । देश के बाशिन्दे मर मिटे । जमीन उन्होंने खुद जोती थी और देवा कि पैदावार दूसरों के हाथों में वर्ना गई। उन्होंने सशंक हृदय से बीज बोया-काल पड़ा। फिर (चावल के व्यापार पर) अपना ठेका जमाए. रखना ( अंगरेजों के लिए) और अधिक आसान होगया महामारी फैली । बाज़ जिलों में जीवित, किन्तु अधमरे लोग अपने बेशुमार मरे हुए रिश्तेदारों के शरीरों को बिना दफनाए छोड़कर चल दिए।" 8 home of Thretatshal tirantatvvellituated to builesting the 118 antiy store key t o Thor knor the termons Hudur'Trould rathe todte thatn violate the Printaples of their reliyon h Eatiy liesh The th rhino would theretorr be helmerongir hat they had or Aur The 1 sthitauts runk thry had onlunted thlnd, and e is the haryPht at tire dtsonal ut otlytraplantua in douht-mate at Cined Then ti122Glopons 3. . PNPr maragrid -cackiite. ensued In some districts the larud sang let rihe hodie ot their numerous dead u.purned '-~Short History of the Engith Transurtensanth East Indies 145