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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५०९

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वारन हेस्टिंग्स

वारन हेस्टिग्स अवध के नवाब के साथ रुहेलों की सन्धि हो चुकी थी, जिसका ये लोग सदा ईमानदारी के साथ पालन करते थे। अंगरेजों के साथ रुहेलों का कोई किसी तरह का झगड़ा न था और न “झगड़े का कोई छोटे से छोटा वहाना ही अंगरेजों को मिल सकता था।" फिर भी वारन हेस्टिग्स ने सन् १७७३ ई० में रुहेलो के विरुद्ध नवाब शुजाउद्दौला के साथ एक गुप्त सन्धि कर डाली। इस सन्धि में यह तय हो गया कि कोई मुनासिव बहाना मिलते ही कम्पनी और नवाब की मेनाएँ मिलकर रुहेलखंड पर चढ़ाई करेंगी। रुहेला जाति को “निर्मल" कर उनका देश शुजाउद्दौला के हवाले कर दिया जावेगा। और इस उपकार के बदले में शुजाउद्दौला चालीस लाख रुपए नकद और युद्ध का सारा खर्च कम्पनी को अदा करेगा। मिल के इतिहास से मालूम होता है कि शुजाउद्दौला ने अपनी इच्छा के विरुद्ध विवश होकर इस सन्धि को स्वीकार किया। इतिहास लेखक टॉरेन्स लिखता है कि-"१७ अप्रैल सन् १७७४ को इस जवरदस्त अन्याय में एक दूसरे को मदद देने वाली दोनों सेनाओं ने रुहेलखंड में प्रवेश किया। रुहेले वीर थे, किन्तु उनकी संख्या बहुत कम थी। उन्होंने रहम की प्रार्थना की, किन्तु व्यर्थ ।” मजबूर होकर उन्होंने वीरता के साथ मुकाबला किया, किन्तु क्या हो By these tures, and or cultuv sting tliligently the alts of turmilrth, ni not ___by touering from ther neigbours, they provided for then anelopehletter Vill's History or Indre Book v Chap |

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