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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५४

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रदेश सदी के अन्त में लन्दन का शहर गन्दा था, मकान भद्दे बने हुए थे और सफाई का कोई इन्तजाम न था !xxx जंगली जानवर हर जगह फिरते थे।xxx बरसात में पडकें इतनी खराब हो जाती थी कि उन पर से चलना मुशकिल था।xxx देहात मे अश्कपर जब लोग रास्ता भूल जाते थे तो उन्हें रात रात भर बाहर ठण्डी हवा में रहना पडता था । खास खास नगरो के बीच मे भी कहीं कहीं सड़कों का पता न होता था, जिसकी वजह से पहिये- दार गाड़ियों का चल सकना इतना कठिन था कि लोग ज़्यादातर लद् दद्दयों के पालानों में दाएँ और बाएँ असवाब के साथ साथ और असबाब की तरह लद कर एक जगह से दूसरी जगह आते जाते थे।xxx सत्रहवीं सदी के अन्त में जाकर तेज़ से लेज़ गाडी दिन भर में तीस मील से पचास मील तक चल सकती थी और वह "उड़ने वाली गाड़ी" कहलाती थी।xxxटाइन नदी के स्रोत पर जो लोग रहते थे वे अमरीका के आदिमवासियों से कम जंगली न थे। उनकी स्त्रियाँ आधी नंगी जंगली गाने गाती फिरती थी, और पुरुष अपनी कटार घुमाते हुए लड़ाइयों के नाच नाचते थे 1Xxx लय कि पुरुषों ही की यह हालत थी कि उनमें से बहुत थोड़े ठीक ठीक लिखना जानते थे तो यह सोचा जा सकता है कि स्त्रियाँ कितनी अनपढ रही होंगी।xxx समाज की व्यवस्था मे जिसे हम सदाचार कहते हैं उसका कही पता न था।xxxपत्ति अपनी पत्नी को कोडों से पीटता था xxx अपराधियों को टिकटिकी से बाँध कर पत्थर मार मार