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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५८७

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३११
हैदरअली

३११ हैदरअली दिन राजसिंहासन पर बैठेगा, किन्तु साथ ही उसके जन्म के थोड़े ही दिनों के बाद उसके पिता की मृत्यु हो जायगी। इस पर फतह मोहम्मद के कुछ रिश्तेदारों ने बालक को मार डालना वाहा । फ़तह मोहम्मद को पता लगा तो उसने स्वयं अपने जीने की परवा न कर वालक का पक्ष लिया। इस नरह हैदरअली की जान बच गई और माता पिता ने उसे बड़े प्रेम से पाला। शहबाज़ और हैदरअली के जन्म से पहले फ़तह मोहम्मद ने अरकाट की नौकरी छोड़ कर पहले मैसूर में नौकरी की और फिर वहाँ से छोड़कर सूवा सीरा के नवाब दगाह कुलीखों के यहाँ नौकरी कर ली। सीरा में वह बालापुर कला का किलेदार बना दिया गया। थोड़े दिनों बाद दक्खिन के नरेशो की आपसी लड़ाइयों में फतह मोहम्मद किसी लड़ाई में काम आया। बाप की मृत्यु के समय शहबाज़ की आयु आठ साल की और हैदरअली की आयु ३ साल की थी। विजयी नवाब अब्बास कुली खाँ ने फ़तह मोहम्मद की बेवा और उसके यतीम बच्चों का सब माल असबाब जब्त कर लिया और उनके सम्बन्धियों से अधिक धन वसूल करने के उद्देश से शहबाज़ और हैदरअली दोनों मासूम बालकों को पकड़ कर एक नगाड़े के अन्दर बन्द कर दिया और ऊपर से नगाड़े पर चोट लगवानी शुरू की। हैदरअली का एक चचेरा भाई, जिसका नाम भी हैदर साहब ___था और जो हैदरअली के ताऊ शेख इलियास का मसूर का सनी म बेटा था, इस समय मैसूर के राजा के यहाँ नायक भरती होना था। हैदरअली की माँ ने अपने इस भतीजे को