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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५९४

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भारत में अंगरेज़ी राज

३१६ भारत में अंगरेजी राज को यह कह कर हैदरअली के खिलाफ़ फोड़ा कि बारामहल का इलाका हैदरअली से जीतकर तुम्हें दे दिया जायगा। अंगरेजों का मुकाबला करने के लिए हैदरअली ने अब निजाम के साथ सन्धि की। तय हो गया कि निज़ाम और हैदरअली दोनों की सेनाएँ मिलकर करनाटक और अंगरेज़ी इलाके पर हमला करें और नवाब मोहम्मदअली को दण्ड देने के लिए उसे करनाटक को मसनद से हटाकर हैदरअली के बेटे टीपू को उसकी जगह बैठर दें। करीब पचास हजार सेना निजाम की ओर से वजीर रुकनुहोला के अधीन हैदरअली की मदद के लिए आई। इतनी ही सेना जनरल स्मिथ के अधीन मद्रास सं बढ़ी। इतने में जब कि अभी अंगरेजो और हैदरअली में पत्र व्यवहार हो ही रहा था, जनरल स्मिथ ने हैदर के वनियमवाड़ी, कावेरीपट्टम इत्यादि कुछ सरहदी किले अपने अधीन कर लिए । हैदरअली के पास कुल सेना इस समय दो लाख के करीब थी। इसमें से पचास हज़ार सेना लेकर वह जनरल स्मिथ के मुकाबले के लिए बढ़ा। रुकनुद्दौला को सेना भी हैदरअली की सेना के साथ साथ थी। इस दरमियान अंगरेजों ने निज़ाम और रुकनुद्दौला के साथ गुप्त पत्र व्यवहार शुरू किया। कई जगह ऐन मौके पर रुकनुद्दौला के व्यवहार से दगा का शक होने लगा। हैदरअली के साथ अंगरेजो को कई छोटो बड़ी लड़ाइयाँ हुई, जिनमें विजय कहीं अंगरेजों की रही और कहीं हैदरअली को। हैदरअली के मजबूत किलो पर अंगरेज कोई विशेष असर न डाल सके। फिर भी हैदरअली का बहुत सा इलाका अंगरेजों के हाथों में आ गया।