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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७०२

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४१८
भारत में अंगरेज़ी राज

४१८ मारत में अगरेजी राज मोहम्मदअली की मृत्यु हुई ! उसका बेटा नवाब उमदतुल उमरा करनाटक की मसनद पर बैठा और बाप के झूठे और अनसुने कर्जे उसे उत्तराधिकार में मिले । ___ लॉर्ड कॉर्नवालिस के समय में कम्पनी और मोहम्मदअली के दरमियान एक सन्धि हो चुकी थी, जिससे करनाटक को सेना का सारा प्रबन्ध अंगरेजों के हाथों में आ गया था और करनाटक के कुछ जिले इन कर्जी के बदले में नवाब से रहन रखा लिए गए थे। उमदतुल उमरा के मसनद पर बैठते ही मद्रास के गवरनर ने उस पर जोर दिया कि आप रहन रक्खे हुए जिले और कुछ और किले सदा के लिए कम्पनी को दे दें। २८ अक्तूबर सन् १७६५ को सर जॉन शोर ने मद्रास के गवरनर को लिखा--"आप नए नवाब को इस बात पर राजी कीजिये कि वह अपनी तमाम रियासत कम्पनी के सुपुर्द कर दे।" नवाब उमदतुल उमरा ने मद्रास के गवरनर की कोई बात मंज़र न की और कम से कम उस समय इस चाल से करनाटक का कोई हिस्सा कम्पनी की अमलदारी में न आ सका। किन्तु करनाटक की ओर अंगरेज़ों की नीयत बिल्कुल जाहिर हो गई। सन् १७६४ में रुहेलखण्ड के नवाव फैजुल्ला ख़ाँ की मृत्यु हुई । उसका छोटा बेटा गुलाम मोहम्मद अपने बड़े भाई रुहेलखण्ड आली खाँ को मार कर बाप की गद्दी पर बैठा। thern at ouce to submit to tlteur most closbilant demands . - Pilhun 1 HOHIEt as quoted in the introduction to ]lhornmoy History of British India